RK – Lovin' the equality
Genre Pop

LYRIC
Lovin' the equality
RK

verse 1

वो जहान
महज़बीन से भरा हुआ
डूबता
आफताब बन गया

बंदगी
तोड़ दी जिस मज़हब और ज़ात ने
मौत पे
जाएंगे ना साथ में

Chorus

एकता..
को वापिस लाओ ना
एकता..
से इश्क कर लो ना

verse 2

लगती अलग नहीं
बुँदे उस रक्त कि
फिर जाने क्यों दिखे
ना उल्फ़त कहीं

सड़कें भरती रही
लाशें रुकती नहीं
इतेहास के किनारों से
रूह दुखती रही

कैसे मैं बता दूँ?
आँसू कितने बह गए
हत्याओं के मामलों से
घर ढह रहे

Chorus

एकता..
को वापिस लाओ ना
एकता..
से इश्क कर लो ना

verse 3

वो जहान
महज़बीन से भरा हुआ
डूबता
आफताब बन गया

बंदगी
तोड़ दी जिस मज़हब और ज़ात ने
मौत पे
जाएंगे ना साथ में

बारिशों में बादल
बेज़ुबान बने
बेगाने से वक़्त पे
बरसने लगे

Chorus

एकता..
को वापिस लाओ ना
एकता..
से इश्क कर लो ना

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